Shodashi Things To Know Before You Buy
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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।
चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं
सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।
Quite possibly the most revered amid these may be the 'Shodashi Mantra', which is explained to grant equally worldly pleasures and spiritual liberation.
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
वन्दे सर्वेश्वरीं देवीं महाश्रीसिद्धमातृकाम् ॥४॥
वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।
Devotees of Shodashi engage in several spiritual disciplines that purpose to harmonize the mind and senses, aligning them Along with the divine consciousness. The next points outline the development to Moksha as a result of devotion to Shodashi:
लब्ध-प्रोज्ज्वल-यौवनाभिरभितोऽनङ्ग-प्रसूनादिभिः
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में more info देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि